प्रस्तावना –
नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे काँग्रेस का जन्म के बारे में पढ़ेंगे |
काँग्रेस का जन्म
उपर्युक्त अनेक संस्थाएँ काँग्रेस के जन्म के पहले अस्तित्व में आ चुकी थीं, परन्तु इनका स्वरूप अखिल भारतीय स्तर का नहीं था, राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ा हुआ शिक्षित वर्ग एक ऐसे संगठन का गठन करना चाहता था। जिसका स्वरूप क्षेत्रीय न होकर सम्पूर्ण भारत में उसकी गतिविधियाँ संचालित हो सके |
संगठन को मूर्त रूप देने में प्रयासरत रहने वाले दादाभाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, आनन्द मोहन बोस, फिरोजशाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, डबल्यू. सी. बनर्जी आदि महानुभाव थे। इनके अतिरिक्त ब्रिटिश रिटायर्ड अधिकारी मि.ए.ओ. ह्यूम का सहयोग सर्वोपरि था।
काँग्रेस की स्थापना के कारण :-
काँग्रेस की पूर्व स्थापित संस्थाएँ स्थानीय थीं, उनमें अखिल भारतीय जनता एवं प्रदेशों का हित सम्पादित नहीं हो पा रहा था, ये स्थानीय राजनीतिक संस्थाएँ सभी को समन्तुष्ट नहीं कर पा रही थीं उनका स्वरूप भी व्यापक नहीं था। स्थापना के पीछे मात्र यही कारण नहीं था बल्कि कुछ और कारण भी थे जिनका विवरण इस प्रकार है-
- अखिल भारतीय स्वरूप
- शासन को सुरक्षा
- संगठित होने की भावना।
अखिल भारतीय स्वरूप-
जैसा कि बताया गया कि कांग्रेस के पूर्व को संस्थायें स्थानीय थीं, उनकी समस्यायें भी सौमित थीं, इसलिये एक व्यापक अखिल भारतीय स्तर की संस्था कि आवश्यकता महसूस की जा रही | इस भावना से प्रेरित होकर काँग्रेस की स्थापना की मानसिकता जाग्रत हुए।
ब्रिटिश शासन की सुरक्षा –
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि, ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बढ़ते हुए जन असंतोष को देखकर मि. ए. ओ. ह्यूम को लगाया गया कि भारतीयों को सन्तुष्ट करने के लिये उन्हें एक संगठन में बॉधकर उन्हें नियन्त्रित किया जाये। लार्ड लिटन का शासनकाल अनीतियों एवं राजनीतिक भूलों से भरा हुआ था।
उससे भारतीयों का असन्तोष बढ़ता जा रहा था, इसीलिये ए. ओ. ह्यूम को लगाया गया। वेडरबर्न ने मि. ए, ओ. ह्यूम को जीवनी में लिखा है “वायसराय लार्ड लिटन के शासन काल के अन्त की ओर अर्थात् 1878 तथा 1879 ई. के लगभग मि. ह्यूम को पक्का विश्वास हो गया था कि बढ़ती अशांति का मुकाबला करने के लिये सुनिश्चित कार्यवाही आवश्यक हो गई है, देश के विभिन्न भागों के शुभचिन्तकों से इनको चेतावनी मिली थी कि जनता के आर्थिक कष्ट और बुद्धिजीवियों के सरकार से अलगाव के कारण ब्रिटिश सरकार को खतरा पैदा हो गया है।
” इससे स्पष्ट है कि काँग्रेस की स्थापना अँग्रेजी शासन की सुरक्षा के लिये की जा रही है।
संगठित होने की भावना–
भारतीयों में संगठित होने की भावना ने भी काँग्रेस को जन्म देने की मानसिकता बनाई थी और इसीलिये उस मानसिकता को मूर्त रूप दिये जाने का विचार काँग्रेस की स्थापना के रूप में सामने आया।
TEGS:-
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कांग्रेस की स्थापना कब व किसने की,
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और क्यों हुई,