पशुओं के प्रमुख रोग रोकथाम एवं उपचार

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जन्तुओं के प्रमुख रोग व उनकी रोकथाम

 

पशुओं के प्रमुख रोग के बारे में

पशुओं के प्रमुख रोग विभिन्न जन्तु जनित खाद्य संसाधनों में कई प्रकार के रोग आक्रमण करते हैं जिसके कारण उनकी उत्पादन क्षमता, वृद्धि एवं कार्य क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। एक स्वस्थ पशु के शरीर का तापक्रम, नाड़ी गति एवं श्वसन गति सभी सामान्य होते हैं तथा वह नियमित रूप से आहार करता है। किंतु बीमारी की अवस्था में सभी क्रियाएँ असामान्य हो जाती हैं।

पशुओं एवं पक्षियों में अलग-अलग रोग की अवस्था में भिन्न-भिन्न लक्षण उत्पन्न होते हैं। सबसे पहले पशु खाना पीना बंद कर देता है तथा उसकी उत्पादकता बहुत कम हो जाती है एवं उसे फिर से सामान्य स्थिति में लाने में बहुत समय लगता है । 

पशुओं के प्रमुख रोग रोकथाम एवं उपचार

 

पशु पक्षियों को रोग से बचाना ही हमारा मुख्य ध्येय होता है। पशुओं में रोग वातावरण की विपरीत परिस्थितियों, कुपोषण अथवा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण उत्पन्न होते हैं। पशुओं व मुर्गियों में रोग प्रमुख रूप से जीवाणु एवं परजीवियों द्वारा उत्पन्न होते हैं। 

दुधारू पशुओं के रोग-

दूधारू पशुओं में विषाणु (वायरस) द्वारा उत्पन्न मुख्य रोग खुरपका-मुँहपका एवं पशुप्लेग (रिण्डर पेस्ट) हैं। जीवाणुओं (बैक्टीरिया) द्वारा उक्त पशुओं में गलघोंटू (हीमोरेजिक सेप्टीसीमिया), लंगड़ी (ब्लैक क्वार्टर), विषज्वर (एन्थ्रेक्स) एवं थनैला (मासटाईटिस) रोग मुख्य रूप से उत्पन्न होते हैं। गोवंशीय पशुओं में दुग्ध ज्वर (मिल्क फीवर) नामक बीमारी कैल्शियम की कमी से उत्पन्न होती है । भेंड एवं बकरियों में शीप एवं गोट पाक्स नामक बीमारी विषाणु से उत्पन्न होती है । 

मुर्गियों के रोग- 

मुर्गियाँ बहुत ही नाजुक पक्षी होती है । अत: इन्हें ठंड से बचाना सबसे जरूरी होता है। ठंड के कारण कम आयु के पक्षियों में सर्दी हो जाती है व चूजे या पक्षी मर जाते हैं। मुर्गियों में इनफेक्सीयस ब्रोंकाइटिस, फाइउल पाक्स एवं मेरेक रोग विषाणुओं द्वारा होते हैं। जबकि पुलोरम एवं कॉलरा (हैजा ) रोग जीवाणुओं द्वारा होते हैं। इसी प्रकार मुर्गियों में काक्सीडियोसिस नामक बीमारी परजीवी द्वारा उत्पन्न होती है । 

सूकरों के रोग –

इसी प्रकार सूकरों में उत्पन्न होने वाली विभिन्न बीमारियाँ जैसे खुरपका-मुँहपका, कॉलरा, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन पाक्स, एन्थ्रेक्स इत्यादि बीमारियाँ जीवाणु एवं विषाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है । 

मछलियों के रोग- 

मछलियों में इनफेक्शियस पेनक्रियोटिक नेक्रोसिस (IPN) एवं वाइरल हीमोरेजिक सेप्टीसीमिया (VHS ) नामक बिमारियाँ विषाणु द्वारा उत्पन्न होती हैं। प्रदूषित जल द्वारा भी मछलियों में विभिन्न प्रकार के संक्रमण उत्पन्न होते है । 

रोगों की रोकथाम- 

पशु-पक्षी पालन के दौरान विभिन्न कारणों से उनमें रोग हो जाते हैं। इन रोगों से पशु-पक्षियों को बचाने हेतु . निम्नांकित प्रयास किए जा सकते है 

  • रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए । 
  • बिछावन एवं अन्य दूषित पदार्थ नष्ट करना चाहिए । 
  • रोग फैलने की सूचना पशु चिकित्सक को तुरन्त पहुँचाना चाहिए । 
  • पशुशाला, कुक्कुट शाला की साफ सफाई व जीवाणुरहित करना चाहिए । चरागाहों को बदलना । 
  • पशुओं एवं देखभालकर्ता की साफ सफाई । 
  • नवीन पशुओं को परीक्षण के उपरान्त ही समूह में मिलाना चाहिए । 
  • पशु चिकित्सक द्वारा समय-समय पर परीक्षण करवाना चाहिए । 
  • पशुओं को पौष्टिक व संतुलित आहार खिलाना चाहिए। उचित समय पर विभिन्न रोगों के टीके लगवाना चाहिए। 

पशुधन से सम्बंधित देश की मुख्य संस्थाएँ 

  • राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल 
  • भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), आइजत नगर, बरेली । 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर स्वयं खोजिये। 

  1. गोवंशीय पशुओं में मदकाल की पहचान किस प्रकार की जाती है? 
  2. पशुओं में प्रजनन के चार मुख्य उद्देश्य बताईए । 
  3. कृत्रिम गर्भाधान को स्पष्ट कीजिए । 
  4. एक स्वस्थ पशु एवं बीमार पशु के मुख्य अंतर लिए।
  5. गाय एवं भैंस में जीवाणु जनित मुख्य कौन-कौन से रोग होते हैं? 
  6. पशु पक्षियों को रोगों से बचाने के मुख्य उपाय लिखिए। 

स्मरणीय बिन्दु 

  • जन्तु प्रोटीन वनस्पति प्रोटीन से अलग होता है । 
  • पशुधन द्वारा हमें दूध, अण्डा तथा माँस के रूप में खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं। 
  • बकरी दूध के अतिरिक्त माँस प्राप्ति हेतु भी मुख्य रूप से पाली जाती है । 
  • काश्मीरी बकरी के बालों के नीचे मुलायम पदार्थ की परत पायी जाती है जिसे पश्मीना कहते हैं, इससे प्रसिद्ध शॉल बनाये जाते हैं । 
  • श्वेत क्रांति दूध उत्पादन में वृद्धि से सम्बंधित है तथा दूध विकास कार्यक्रम को आपरेशन फ्लड की संज्ञा दी गई है। 
  • नीली क्रांति का सम्बंध मछली उत्पादन में वृद्धि से है । 
  • असील एक प्रसिद्ध भारतीय मुर्गी की नस्ल है जो कि माँस के लिए प्रसिद्ध है। 
  • कड़कनाथ म.प्र. की एक प्रसिद्ध माँस वाली मुर्गी की नस्ल है जो कि झाबुआ जिले में मुख्य रूप से पायी जाती है । पशुओं में रोग मुख्य रूप से जीवाणु, विषाणु एवं प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न होते हैं । 
  • गोवंशीय पशुओं में दुग्ध ज्वर बीमारी केल्शियम की कमी से होती है । 

 

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