पोषण एवं स्वास्थ्य
पोषण एवं स्वास्थ्य प्रस्तावना –
नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पोषण एवं स्वास्थ्य के बारे में पढ़ेंगे |
पोषण एवं स्वास्थ्य : शारीरिक संरचना का सामान्य परिचय-
समस्त जीवों की भाँति मानव शरीर की भी विशिष्ट कार्यप्रणाली होती है । जन्म से लेकर मृत्यु तक शरीर में अनेक जैविक प्रक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं जैसे- वृद्धि, विकास, श्वसन, पोषण, उत्सर्जन एवं जनन । इन सभी क्रियाओं में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है ।
पोषण क्या है ?
पोषण वह क्रिया है जिसमें भोजन ग्रहण करना, पाचन, अवशोषण, ऊर्जा उत्पादन तथा अपच पदार्थों को शरीर से बाहर करने की क्रियाएँ सम्मिलित हैं ।इन सभी क्रियाओं को करने हेतु शरीर में मुख से लेकर गुदाद्वार तक एक विशिष्ट तंत्र होता है जो पाचन तंत्र कहलाता है।
- इस तंत्र का प्रमुख कार्य भोजन से प्राप्त ऊर्जा को शरीर के अन्य तंत्रों तक पहुँचाना है । अत: इस तंत्र एवं पोषण क्रिया का सीधा संबंध शारीरिक स्वास्थ्य में है क्योंकि पोषण द्वारा प्राप्त ऊर्जा से ही श्वसनं तंत्र, परिसंचरण तंत्र, उत्सर्जन तंत्र इत्यादि सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- मानव शरीर की संरचना अत्यंत जटिल है । इसमें कोशिकीय स्तर से ऊतक, अंग, अंग तंत्र तक की व्यवस्था होने के कारण जटिलता बढ़ जाती है । अतः किसी भी तंत्र में उत्पन्न बाधा या बीमारी से स्वास्थ्य एवं शरीर की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है, क्योंकि सम्पूर्ण शरीर अनेक अंगों एवं अंगतंत्रों से मिलकर बना होने के बाद भी एक इकाई के समान कार्य करता है ।
स्वास्थ्य क्या है ?
स्वस्थ व्यक्ति से तात्पर्य होता है कि वह शारीरिक एवं मानसिक रूप से किसी भी प्रकार की विकृति से रहित हो । प्रायः स्वस्थ एवं अस्वस्थ शरीर का निर्णय करना कठिन होता है परंतु एक स्वस्थ शरीर को सामान्य तौर पर निम्नानुसार परिभाषित किया जाता है। ‘स्वस्थ शरीर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में किसी प्रकार की कोई संरचनात्मक एवं कार्यात्मक अनियमितता न हो।”
स्वास्थ्य का महत्व
स्वास्थ्य का विशेष महत्व है। मनुष्य को स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार, स्वच्छ जल, नियमित सफाई, व्यायाम, विश्राम एवं स्वच्छ वायु आवश्यक होते हैं। निरोगी दशा में हमारा शरीर फुर्तीला रहता है तथा हम अपनी सभी क्रियायें सुचारू रूप से कर सकते हैं ।
सामुदायिक स्वास्थ्य एवं वैयक्तिक स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के महत्व से हम सभी भली-भाँति परिचित हैं। जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है, उसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य का भी काफी महत्व है। मनुष्यों के द्वारा ही समुदाय बनता है तथा समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य का समुदाय पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्तियों की अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ पूरे समुदाय के लिए समस्या उत्पन्न कर सकती हैं ।
आजकल व्यस्तता, सघन बसावट, शहरीकरण, प्रदूषण इत्यादि कारणों से पूरे समुदाय का वातावरण प्रभावित हो रहा है । प्रायः लोग व्यक्तिगत तौर पर तो स्वच्छ रहते हैं, घर को साफ सुथरा रख लेते हैं, परंतु घर के बाहर खुले स्थान पर कूड़ा करकट विसर्जित कर देते हैं, जिससे भूमि के साथ-साथ जल भी प्रदूषित हो जाता है। इसका प्रतिकूल प्रभाव पूरे सामुदायिक स्वास्थ्य पर पड़ता हैं।
इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें सामुदायिक स्वास्थ्य पर भी जोर देना चाहिए। जिससे संपूर्ण समुदाय स्वस्थ रह सके और एक अच्छी सामाजिक स्थिति निर्मित हो ।
क्रियाकलाप–
उद्देश्य : सामुदायिक स्वास्थ्य का सर्वेक्षण करना ।
विधि : अपनी कक्षा में दस विद्यार्थियों से चर्चा कीजिए एवं निम्नांकित तालिका की पूर्ति कीजिए ।
निष्कर्ष : उपरोक्त क्रियाकलाप में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य संबंधी रोगों के आंकड़े एकत्रित किए जा सकते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्तें
अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति में निम्नांकित शर्तों का होना आवश्यक है जो स्वस्थ रहने में सहायक होती है। यदि इनका पालन किया जाए तो स्वस्थ रहा जा सकता है। अतः स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्तें इस प्रकार हैं-
पोषण:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है अर्थात् भोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी आवश्यक पोषक पदार्थ उचित अनुपात में उपस्थित हों। पोषण प्रत्यक्ष रूप से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है इसलिए संतुलित आहार शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है
स्वास्थ्यकारी आदतें –
आपने देखा होगा कि यदि शरीर या कपड़े गंदे हों तो उसमें से दुर्गंध आने लगती है । यदि भोजन खुला रखा रह जाए तो वह सूक्ष्म जीवों के कारण संक्रमित हो जाता है । मक्खियाँ तथा कीट भी हमारे भोजन व जल को दूषित करती हैं जिनके सेवन से अनेक बीमारियाँ होने की संभावना रहती है ।
इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें प्रतिदिन स्नान करना, स्वच्छ कपड़े पहनना, भोजन व जल को ढककर रखना, बर्तनों को साफ रखना, ताजा भोजन करना, फल तथा सब्जियों को स्वच्छ जल से धोकर ही उपयोग में लाना, मल-मूत्र त्यागने के उपरांत व भोजन करने से पहले एवं बाद में साबुन से हाथ धोना, स्वच्छ जल पीना जैसी आदतें अपनाना चाहिए।
स्वच्छ वायु भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। धूम्रपान, तम्बाकू, शराब या अन्य मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनका शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है ।
व्यायाम व विश्राम –
स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम बहुत आवश्यक है । नियमित व्यायाम से तन व मन स्वस्थ रहता है । व्यायाम हर उम्र के व्यक्ति के लिए आवश्यक है । व्यायाम से हमारे शरीर में रक्त का संचार ठीक ढंग से होता है, स्फूर्ति आती है और हम चुस्त रहते हैं ।
व्यायाम के साथ-साथ नियमित रूप से विश्राम भी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है । लगातार कार्य करने से हमारी मांसपेशियाँ थक जाती है तथा विश्राम करने से शरीर की थकान दूर होती है तथा शरीर पुनः कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है और हम अधिक क्षमता के साथ कार्य कर सकते हैं ।