विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रस्तावना –
नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बारे में पढ़ेंगे |
बच्चों को दस्त होने पर दिये जाने वाले ORS (Oral Rehydration Solution) जीवन रक्षक घोल के पैकेट पर आपने WHO का नाम देखा होगा । इसका पूरा नाम World Health Organization ( विश्व स्वास्थ्य संगठन ) हैं। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाली एक विश्व व्यापी संस्था है। जिसका मुख्यालय जिनेवा में है। इस संगठन की स्थापना सन् 1948 में हुई थी। यह संस्था निम्न कार्य करती है।
- पेयजल के संबंध में पूरे विश्व में मानक तैयार करना ।
- स्वास्थ्य संबंधी सलाहें देना ।
- पूरे विश्व में स्वास्थ्य संबंधी नियम तैयार करके लागू करवाना।
- विभिन्न खाद्य पदार्थों में प्रदूषकों की मात्रा के मानक तैयार करना ।
- स्वास्थ्य संबंधी विश्वव्यापी अभियान संचालित करना । जैसे महामारियों और क्षेत्रीय बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना, उनसे बचाव के लिए टीकाकरण, पल्स पोलियो कार्यक्रम करवाना, प्रति जैविक और कीटनाशक पदार्थों के उपयोग के बारे में जानकारी देना आदि ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल, सफाई व्यवस्था, स्वास्थ्य शिक्षा, प्रयोगशाला एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के बारे में –
संस्थान का नाम | विश्व स्वास्थ्य संगठन |
स्थापना | 7 अप्रैल 1948 |
मुख्यालय | जिनेवा, स्विट्जरलैंड |
संक्षेपाक्षर | WHO |
---|---|
काम | वैश्विक स्वास्थ्य और सुरक्षा |
सदस्य | 194 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य |
FAQ-
इन प्रश्नों के उत्तर स्वयं खोजिए और कमेंट में लिखे ?
- प्रश्न. भोज्य पदार्थों में मिलावट से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न. पेयजल में क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
- प्रश्न. WHO की स्थापना कब हुई थी ?
- प्रश्न. भोज्य पदार्थों में मिलावट का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
मनुष्यों में होने वाली बीमारियाँ –
- कभी-कभी शारीरिक क्रियाओं के असंतुलन, मनोवैज्ञानिक कारणों अथवा रोगाणुओं के संक्रमण से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे रोग हो जाता है। रोग को अंग्रेजी में Disease अर्थात DIS-EASE कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘ असहज’ ।
- रोग (व्याधि) शब्द का मूल शब्द ‘ व्याधा’ है जिसका अर्थ होता है अच्छे स्वास्थ्य में रूकावट उत्पन्न होना, अर्थात शरीर में विकार उत्पन्न होना ही रोग कहलाता है। इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है. ‘बीमारी या रोग वह दशा है जिसमें जीव संरचनात्मक तथा कार्यात्मक रूप से विकृत या अनियमित हो जाता है ।’
- बीमारियों के कारण या स्रोत : बीमारियाँ हमेशा किसी न किसी जीव या निर्जीव कारक (factor) के कारण होती है ।
बीमारियों के प्रमुख कारण निम्न हैं:-
- पौष्टिक तत्व शरीर में पोषक तत्वों की कमी या अधिकता के कारण कई रोग हो जाते हैं ।
- जैविक कारक या रोगाणु (Pathogens) प्रकृति में पाये जाने वाले कुछ जीव हमारे शरीर में प्रवेश कर रोग उत्पन्न करते हैं तो इन्हें रोगाणु कहते हैं ।
- अन्य कारक – भौतिक कारक (. ताप – दाब ), रासायनिक कारक (यूरिया, यूरिक अम्ल), यांत्रिक कारक दुर्घटना कारण कई रोग होते हैं ।
रोगों के प्रकार –
संचरणीय रोग व असंचरणीय रोग
(1) संचरणीय ( संक्रामक ) रोग – ( Communicable Diseases )
ऐसे रोग जो जीवित कारकों जैसे विषाणु, जीवाणु, प्रोटोजोआ, कवक व कृमियों द्वारा होते हैं तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाते हैं। रोग कारक जीव का संचरण (फैलाव) वायु, जल, भोजन, या कीटों द्वारा होता है, इसलिए इन्हें संचरणीय रोग कहते हैं। जैसे- हैजा, टी. बी. इत्यादि ।
(2) असंचरणीय (असंक्रामक ) रोग :- (Non Communicable Diseases)
यह रोग संक्रमित व्यक्ति (रोगी) से स्वस्थ व्यक्ति में स्थानांतरित नहीं होता, इसलिए इन्हें असंचरणीय रोग कहते हैं जैसे जोड़ों में दर्द, कैंसर तथा हृदय रोग । अनेकों असंचरणीय रोग पोषक तत्वों की कमी से भी होते हैं । कुछ प्रमुख मानवीय रोगों का विवरण इस प्रकार है ।
स्मरणीय बिन्दु –
- शरीर अत्यंत जटिल एवं अनेक अंग तंत्रों से मिलकर बना होने के बाद भी एक इकाई की तरह कार्य करता है । व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य भी आवश्यक है ।
- उत्तम स्वास्थ्य के लिए पोषण, स्वास्थ्यकारी आदतें तथा व्यायाम व विश्राम आवश्यक है ।
- ऐसा भोजन जिसमें सभी पोषक पदार्थ, उचित मात्रा में मिले हों, संतुलित आहार कहलाता है।
- भोजन के प्रमुख घटक हैं : कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन, रेशें तथा जल ।
- विटामिन कई प्रकार के होते हैं A, B, C, D, E तथा K आदि
- संतुलित आहार न मिलने से उत्पन्न स्थिति कुपोषण कहलाती है तथा इनसे उत्पन्न रोग हीनताजन्य रोग कहलाते हैं।
- भोजन में अवांछित पदार्थो को मिलाना मिलावट कहलाती है ।
- मिलावट का परीक्षण किया जा सकता है।
- संतुलित आहार के साथ शुद्ध पेयजल भी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
- WHO एक विश्वव्यापी संगठन है जो विश्व स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी कार्य कर रहा
- सामान्यतः रोग दो प्रकार के होते हैं- संक्रामक एवं असंक्रामक ।
- जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ प्रमुख रोगकारक जीव है । मच्छर, मक्खियाँ एवं अन्य कीट रोगवाहक का कार्य करते हैं । एड्स का कोई उपचार नहीं है।
- हाइड्रोफोबिया बीमारी में रोगी को जल से डर लगता है । हैजा एवं पीलिया दूषित जल से होने वाली बीमारी है ।
- एड्स का कारण HIV ( ह्यूमन इम्यूनोडेफीशिंएसी वायरस ) है ।
- दस्त होने पर जीवन रक्षक घोल या ओ. आर. एस. (Oral Rehydration solution) बार-बार पिलाना चाहिए । सर्वप्रथम डॉ. रोनाल्ड रॉस (1887) ने बताया कि मलेरिया का रोगकारक जीव मच्छरों द्वारा फैलता है । इस खोज के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार मिला ।