व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (Opccupational safety and health )
व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की प्रस्तावना –
नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के बारे में पढ़ेंगे |
परिचय (Introduction) –
‘मैकेनिक डीजल’ ट्रेड के अंतर्गत डीजल इंजन की मरम्मत एव ओवरहॉलिंग का कार्य किया जाता हैं। जिस हेतु कार्यशाला में भिन्न-भिन्न प्रकार के औज़ारों, उपकरणों एवं मशीनों का उपयोग किया जाता हैं। साथ ही कार्यशाला में विविध प्रकार की संक्रियाए (Operations) एवं संवेदनशील कार्य भी किए जाते हैं।
जिससे कार्यशाला में कार्य करते समय कभी भी जोखिम की स्थिति बन सकती हैं। अतः प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रशिक्षु को सदैव सचेत होकर व एकाग्र होकर ही कार्य करना चाहिए, अन्यथा कभी-भी दुर्घटना घट सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ सुरक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाए रखने हेतु भी प्रशिक्षित किया जाता हैं।
सुरक्षा एवं सामान्य सावधानियों का महत्व (Importance of Safety and General Precautions)-
कार्यशाला में अधिकतर कार्य संवेदनशील प्रवृत्ति के होते हैं। यहाँ जरा-सी असावधानी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं। इसी कारण कार्यशाला में सुरक्षा एवं सामान्य सावधानियों का बड़ा ही महत्व हैं। यदि हम इन सुरक्षा तथ्यों एवं सावधानियों से आत्मसात् हो ले तो निश्चित ही स्वयं को कार्य के दोरान सुरक्षित रख पाएँगें। इसी उद्देश्य हेतु कार्यशाला में कार्य करने के लिए दिशा-निर्देश एवं मापदण्ड निर्धारित किए जाते हैं। इनका अनुपालन कर प्रशिक्षु कार्य के अंतर्गत स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं।
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- कार्यशाला में अनावश्यक ही किसी भी उपकरण, ओजार एवं मशीन आदि से छेड़छाड़ न करें, अन्यथा यह हानिकर सिद्ध हो सकता है।
- किसी भी मशीन की चालू अवस्था में इसके किसी भी अवयव को न छुऐ।
- कार्यशाला में विद्यतिक अवयवों व तारों को कदापि न छुऐ।
- कार्यशाला में आग लगने की दशा में केवल अग्निशामक उपकरणों का ही उपयोग करें तथा तत्काल ही फायर बिग्रेड को सूचित करें।
- कार्यशाला में अनुशासन बनाकर रखें तथा अनुदेशक की आज्ञा का सदैव पालन करें।
- दुर्घटना की स्थिति में तत्काल ही प्राथमिक उपचार की व्यवस्था तथा चिकित्सक को सूचित करें।
आधारभूत प्राथमिक चिकित्सा (Basic First Aid)
कार्यशाला एवं तकनीकी संस्थानों में विविध उपकरणों औजारों तथा मशीनों निरंतर उपयोग करने के कारण हर समय दुर्घटना घटने की संभावना बनी रहती हैं। यह कभी भी संभव नहीं रहता है कि जिस समय , दुर्घना घटे वहाँ सदैव चिकित्सक उपस्थित हो क्योंकि दुर्घटना सदैव आकस्मिक घटित होती है। इस स्थिति में घायल व्यक्ति को तत्कालिक उपचार प्रदान किया जाता है। इस उपचार को ही प्राथमिक उपचार कहा जाता है।
अतः कार्यशाला में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आधारभूत प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि साथ में कार्य करने वाले व्यक्ति के घायल होने की दशा में उसे प्राथमिक उपचार दिया जा सके। प्राथमिक चिकित्सा हेतु कार्यशाला में एक बॉक्स की व्यवस्था की जाती है। इस बॉक्स का रंग सफेद होता है तथा इस पर लाल रंग का क्रॉस (+) का चिह्न बना रहता हैं। इस बॉक्स में चिकित्सा हेतु आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहती है। इस बॉक्स को प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स (First Aid Box) कहा जाता हैं।
प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स में निम्नलिखित सामग्री व औषधि तथा दवाईयाँ उपस्थित रहती हैं
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- टिंचर आयोडीन
- fear बेंजोइन
- fare
- पोटेशियम परमेग्नेट
- डेटॉल
- कॉटन
- बरनॉल
- दवाई युक्त प्लास्टर
- पट्टी
- कैंची, चाकू एवं सेफ्टी पिन
- गिलास
- ड्रॉपर
- मुलायम कपड़ा
- ओषधियाँ
प्राथमिक उपचार के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण टिप्स (Important Tips During First Aid)
रोगी को प्राथमिक उपचार देने से पूर्व सदैव निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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- प्राथमिक उपचार आरंभ करने से पूर्व रोगी के आस-पास एकत्रित भीड़ हो हटा दें।
- रोगी को सपाट जगह पर सीधा करके लिटाएँ।
- रोगी को ज्यादा ना हिलाएँ, क्योंकि रोगी की हड्डी टूटी हो सकती है।
- रोगी के शरीर को स्वच्छ बनाकर रखें।
- पीडित व्यक्ति के जख्मों को अच्छी तरह साफ कर दें।
- रोगी को सांस लेने में कठिनाई हो रही हो तो उसे कृत्रिम सांस दें।