प्राचीन भारतीय इतिहास

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्रोत,साहित्यिक,वेद,उपनिषद,महाकाव्य,पुराण,बौद्ध ग्रन्थ,जैन ग्रन्थ,कल्पना प्रधान लोकसाहित्य एवं जीवचरित्र,चीनी वृत्तान्त,मुसलमान यात्रियों के वृत्तान्त,MP BOARD 2024

प्रस्तावना –

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2 प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्रोत
2.1 प्राचीन भारतीय इतिहास का साहित्यिक स्रोतों में निम्नांकित स्रोत मिलते हैं-

नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्रोत,साहित्यिक,वेद,उपनिषद,महाकाव्य,पुराण,बौद्ध ग्रन्थ,जैन ग्रन्थ,कल्पना प्रधान लोकसाहित्य एवं जीवचरित्र,चीनी वृत्तान्त,मुसलमान यात्रियों के वृत्तान्त के वारे में बात करेंगे |

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्रोत 

 प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए इतिहास के विद्यार्थी को अनक साधनों की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल के विषय में अनेक स्थानों पर लिखित प्रमाण प्राप्त नहीं होते हैं जितने भी लिखित प्रमाण मिलते हैं उनमें उनके भाषा व लिपि की जानकारी न होने के कारण उनको पढ़ना कठिन होता है। प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के लिए अनेक साधन हमें उपलब्ध होते हैं, जिन्हें निम्नलिखित वर्गों में बाटा जा सकता है-

(1) साहित्यिक,

(2) पुरातात्विक। 

 प्राचीन भारतीय इतिहास का साहित्यिक स्रोतों में निम्नांकित स्रोत मिलते हैं-

धार्मिक ग्रन्थ-

हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थों जैसे वेद, रामायण और महाभारत तथा जैनियों और बौद्धों के धार्मिक ग्रन्थों जैसे-त्रिपिटक, जातक, अंग आदि से हमें प्राचीन इतिहास को जानने में काफी सहायता मिली है। बेद चाहे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से न लिखे गये हो परन्तु फिर भी वे प्राचीन आयों की राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक अवस्था पर अवश्य प्रकाश डालते हैं। ब्राह्मण ग्रन्थ-भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले ब्राह्मण धर्म से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थ हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का साहित्यिक स्रोत वेद-

आर्यों के प्राचीनतम ग्रन्थ वेद हैं इनकी कुल संख्या चार है, जिनमें सबसे प्राचीन ऋग्वेद है इसके अतिरिक्त तीन अन्य वेद सामवेद, यजुर्वेद व अथर्ववेद हैं। 

 ऋग्वेद

भारतीय आरयों की प्राचीनतम ज्ञात पुस्तक “ऋग्वेद” है जो वैदिक संस्कृत में रचे हुए 1028 छन्दों का संग्रह है। अधिकांश छन्दों में वैदिक देवताओं की स्तुति की गई है और इन्हें यज्ञों या बलिदानों के समय पढ़ा जाता था। उषा को सम्बोधित करते हुए छन्द बहुत ही मनमोहक है। 

यजुर्वेद

इसमें यज्ञ के सम्पादन की विधियाँ बताई गई हैं। 

सामवेद

सामवेद में ऋग्वेद के छन्दों के गायन की विधियाँ बतलाई गई हैं। 

अथर्ववेद

इसमें अनेक संस्कारों और कर्मकाण्डों का वर्णन है। 

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का साहित्यिक स्रोत ब्राह्मण-

वैदिक श्लोकों तथा संहिताओं की टीकाएँ ब्राह्मणों में मिलती हैं। ये टीकाएँ गद्य में हैं । इनमें प्रमुख हैं- ब्राह्मण, ऐतरेय, शतपथ, पंचविश व गोपथ।

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का साहित्यिक स्रोत आरण्यक-

इसका अध्ययन वन में किया जाता था इसमें धार्मिक तथा आध्यात्मिक विचारों का प्रतिपादन होता है।

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का साहित्यिक स्रोत उपनिषद-

उपनिषद” का शाब्दिक अर्थ समीप बैठना होता है प्राचीन काल में आचार्य अपने सबसे योग्य शिष्य को इस गूढ़ ज्ञान का दान किया करते थे। इसमें वेद आदि ग्रन्थों की दार्शनिक व्याख्या के साथ निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं। 

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का साहित्यिक स्रोत वेदांग-

इसमें तत्कालीन समाज एवं धर्म पर घिस्तृत प्रकाश पड़ता है इनकी संख्या छ: हैं- शिक्षा, कल्प, ज्याकरण, निरक्त, छन्द एवं ज्योतिष

स्मृति –

 स्मृतियों में तत्कालीन समाज के संगठन, नियम और रीति रिवाजों का वर्णन है। इनमें प्रमुख हैं- मनु, नारद, वृहस्पति। 

महाकाव्य-

महाकाव्य से उत्तरी भारत के आर्यो की संस्कृति की जानकारी मिलती है। इन काव्यों से ज्ञात होता है कि प्राचीन संस्कृति एक महान संस्कृति थी। ये महाकाव्य हैं- रामायण एवं महाभारत। रामायण के रचयिता महाकवि वाल्मीकि तथा महाभारत के वेदव्यास हैं| 

पुराण

पुराण भी प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डालते हैं, इनकी संख्या 18 है, प्रत्येक पुराण में 5 अध्याय है इनमें भिन्‍न-भिन्‍न विषयों का वर्णन मिलता है। पुराण के अन्तिम अध्याय में वंश चरित्र का वर्णन मिलता है। प्रत्येक पुराण का वंश चरित्र एक-दूसरे से भिन्न है। 

 

बौद्ध ग्रन्थ-

बौद्ध ग्रन्थों के माध्यम से भी प्राचीन भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी प्राप्त होती है। प्रमुख बौद्ध ग्रन्थ जिनसे तत्कालीन सामाजिक एवं अन्य जानकारियाँ प्राप्त होती हैं, निम्नलिखित हैं-

पिटक

पिटक जिन्हें त्रिपिटक भी कहा जाता है तीन हैं 

    • सुत पिटक,
    • धम्म पिटक, 
    • विनय पिटक। 

जातक-

बौद्ध साहित्य का सबसे पुराना स्तर जातकों का है इनमें भगवान बुद्ध के पूर्व जन्‍म की कथाएँ हैं ऐसा माना गया है कि गौतम के रूप में जन्म लेने के पूर्व बुद्ध 550 से भी अधिक जन्मों से गुजरे थे। काल्पनिक होने पर भी ये अपने समय और उसके पहले के समाज का चित्र हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं। 

अन्य ग्रन्थ

बौद्ध साहित्य के अन्य ग्रन्थों में महा वंश और दीप वंश श्रीलंका के पालि महाकाव्य हैं। इससे श्रीलंका के इतिहास के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध होने के कारण भारतीय इतिहास पर भी प्रकाश पड़ता है। मिलिन्द पन्हो यूनानी राजा मिलिन्द (मीनांडर) और बौद्ध धर्म गुरु नागसेन के संवाद पर आधारित है।

इनमें तत्कालीन राजनैतिक अठस्था, समाज, धर्म, आचार आदि का वर्णन मिलता है। महावस्तु ललित विस्तार और बुद्ध चरित्र में बुद्ध के जीवन के साथ ही तात्कालिक जीवन की सामाजिक परिस्थितियों पर भी प्रकाश डाला गया है। दिव्यावदन में मौर्यवश के इतिहास कौ जानकारी मिलती है। मंजुश्री मूल कल्प में प्राचीन राजवंशों का संक्षिप्त और गूढ संकेतों में वर्णन मिलता है। 

जैन ग्रन्थ-

जैन ग्रन्थों के माध्यम से भी भारतीय इतिहास के विषय में प्रचुर सामग्री मिलती है। जैन ग्रन्थों में ऐसी बहुत-सी जानकारियाँ मिलती हैं जिनका विवरण ब्राह्मण अथवा बौद्ध साहित्य में बहुत सीमित मात्रा में मिलती है। जैन साहित्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आचार्य हेमचन्द्र लिखित “परिशिष्ट पर्वन’ है।जैन साहित्य का दूसरा उपयोगी ग्रन्थ भद्रबाहु चरित्र है। इसमें जैन आचार्य भद्रबाहु के जीवन के साथ ही चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन की घटनाएँ वर्णित हैं इसके अतिरिक्त “वसुदेव हिन्द वृहत कल्प सूत्र, भाष्य, आचारांग सूत्र, आवश्यक चूर्णि ज्ञाता धर्म कथा, समराइच्च कहा, कथा कोष, त्रिलोक प्राप्ति आदि भी प्राचीन भारतीय इतिहास की व्यापक जानकारी प्रदान करते हैं। धर्म निरपेक्ष ग्रन्थ 

कल्पना प्रधान लोकसाहित्य एवं जीवचरित्र-

भारतीय लेखन शैली के अनुसार ऐतिहासिक ग्रन्थों की श्रेणी में बहुत से ग्रन्थ आते हैं किन्तु आधुनिक शैली से मिलते-जुलते ऐतिहासिक ग्रन्थ संस्कृत भाषा में सोमित संख्या में हैं । कुछ प्रमुख ग्रन्थ जिनसे इतिहास के सम्बन्ध में सामग्री प्राप्त होती है, निम्तलिखित हैं

राजतरंगिणी-

राजतरंगिणी की रचना कल्हण ने की इनमें प्राचोनकाल से लेकर बारहवीं शताब्दी तक का कश्मीर का इतिहास दिया गया है। 

हर्षचरित्र-

बाण भट्ट रचित इस ग्रन्थ में हर्षकालीन राजनैतिक स्थिति का उल्लेख मिलता है। 

अर्थशास्त्र-

अर्थशास्त्र कौटिल्य की रचना है यह मौर्यकालीन चाणक्य ने ईसा चौथी शताब्दी मैं की थी। इसमें  अर्थ-नीति, राजनीति, कूटनीति और विदेश नीति का सैद्धान्तिक विवेचन है। 

मृच्छकटिकम्‌-

शूद्रक द्वारा लिखा यह नाटक भी गुप्तकालीन इतिहास पर प्रकाश डालता है।  महाकाव्य द्वावा इस ग्रन्थ में मौर्यकालीन व्यवस्था पर प्रकाश डाला गया है। 

कालिदास की रचनाएँ-

गुप्तकाल के महान कवि एवं नाटककार कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम्‌’, , ‘मालविकाग्निमित्रम’, “विक्रमोर्वशीय’, “कुमार सम्भव’, ‘रघुवंश”, “ऋतुसंहार’ मेघदूत का लेखन किया इनसे तत्कालीन  पर प्रकाश डाला जा सकता । 

विक्रमांक देव रचित-

कश्मीरी विद्वान बिल्हण | देव रचित–कश्मीरी विद्वान बिल्हण द्वारा लिखित इस ग्रन्थ में कल्याणी के चालुक्य वंश के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। यह ग्रन्थ ग्यारहवीं शताब्दी के अन्त में लिखा गया था। 

नव साहसांक रचित–

पदुम गुप्त परिमल द्वारा रचित इस ग्रन्थ की रचना के माध्यम से परमार वंश के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। 

औड़्वाहो-

वाक्पतिराज के इस प्राकृत काव्य में कन्नौज के राजा दिग्विजय का सविस्तार वर्णन है।

पृथ्वीराज रासो-

चन्दवरदाई द्वारा लिखित यह ग्रन्थ चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करता है। इन ग्रन्थों के अतिरिक्त सन्ध्या.करनन्दी के ‘राम चरित’ “जयानक रचित’ “पृथ्वी राज विजय” और आनन्द भट्ट लिखित “बल्लला चरित्र, क्रमश: पाल, चौहान और सेनवंश के सम्बन्ध में सामग्री प्रदान करते हैं। तमिल साहित्य में नन्दि क्कलन्दकम; चोल चरित आदि ऐसे ग्रन्थ हैं जो इतिहास के सम्बन्ध में विशिष्ट जानकारियों प्रदान करते हैं। देश के प्रसिद्ध महाकाव्य हैं इनमैं आयों और अनायों के तत्कालीन धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। 

रामायण-

रामायण को आदिकाव्य कहा गया है। इसमें लगभग चौबीस हजार श्लोक हैं। इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं। समीक्षकों की दृष्टि में रामायण एक व्यक्ति या एक काल की रचना नहीं है। रामायण में राम को कहीं पुरुष रूप में और कहीं देवरूप में रखा गया है। राम का जो वर्णन एक पुत्र, एक योद्धा या एक महान पुरुष के रूप में किया गया है वह अमानवीय नहीं है। राम एक इश्ष्वाकुवंशीय राजकुमार थे जिनके युद्ध और शान्ति के साधनों से उस समय की और वर्तमान काल की जनता भी प्रभावित है.। राम का उल्लेख ‘दशरथजातकः‘ में भी मिलता है 

महाभारत-

महाभारत में एक लाख का संग्रह.है यह संसार का सबसे वृहत्‌ काव्य है। महाभारत में वर्णित पात्रों और नगरों का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण और  साहित्य में भी मिलता है। इस महाकाव्य में धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों तथा पाण्डु के पाँच पुत्रों, जिन्हें क्रमश: कौरव एवं पाण्डव कहा जाता था उनके संघर्ष की कथा है। इन दोनों महाकाव्यों में उस समय के सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक जीवन का चित्रण मिलता है।

विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तान्त प्राचीन काल में भारत के जिन देशों के साथ व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्पर्क स्थापित हुए वहाँ से कुछ लोग जिज्ञासावश भारत की यात्रा पर आये और अपने अनुभवों को पुस्तक के रूप में लिखा। विभिन्‍न देशों के लेखकों ने तत्कालीन इतिहास पर प्रकाश डालते हुए महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की हैं जो निम्नलिखित हैं-वृत्तान्त-भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले लेखकों, यात्रियों में यूनानी सबसे भारत आये थे कालक्रम के दृष्टिकोण से इनको तीन वर्गों में रखा जा सकता –

  • सिकन्दर पूर्व 
  • पस्लिकन्दर के समकालीन, 
  • सिकन्दर के पश्चात्‌।

 प्रथम कोटि के लेखकों में हेरोडोटस, सर्वाधिक महत्वपूर्ण नाम है| पाँचवी शताब्दी ई. पृ. में लिखे अपने ग्रन्थ हिस्टोरिका में हेरोडोटस ने उत्तरापण और हरवमी साम्राज्य के राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्ध पर-प्रकाश डाला है। द्वितीय कोटि के लेखकों में अदिस्टोबुलस निआर्कस चारस और यूनेनीस प्रमुख हैं । सिकन्दर के आक्रमण के समय के विवरण इन लेखकों की रचनाओं के शैडारा प्राप्त होते हैं।

तृतीय वर्ग के लेखकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण विवरण मेगस्थनीज का है जो कि सेल्यूकस निकेटर के राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य की सभा में आया था और अपने अनुभवों को उसने अपनी पुस्तक इण्डिका’ ‘ लिखा दुर्भाग्य से इस पुस्तक का मूल रूप उपलब्ध नहीं है। अन्य महत्वपर्ण लेखकों व उनके विवरण इस प्रकार हैं--हरिश्रियन सागर का पेरिप्लस, टाल्मी, भूगोल, प्लिनी का नेचुरल हिस्ट्री इन रचनाओं में  भारत के भौगोलिक विस्तार तथा सांस्कृतिक इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है। 

प्राचीन भारतीय इतिहास का चीनी वृत्तान्त-

भारत की यात्रा पर॑ आये चीनी यात्रियों ने बौद्ध धर्म से सम्बन्धित अपनी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए तीर्थाटन किया। बौद्ध विहारों, विद्या पीठों की यात्रा की । इन यात्रियों में चार के यात्रा विवरण  भारतीय इतिहास के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। इनके अतिरिक्त शुमा पिन ऐसा पहला इतिहासकार था जिससे भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है जिन चार यात्रियों ने भारत की यात्रा का विवरण लिखा उनमें फाह्यान नामक चीनी यात्री ने 399 ई. में भारत की कठोर और लम्बी यात्रा की ।

इसका यात्रा विवरण गुप्तकालीन इतिहास लिए उपयोगी है। सुंगयुंन नामक 518. में भारत आया था चीनी यात्रियों ने हेनसांग का स्थान. सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह 629 . में भारत आया सोलह तक भारत की यात्रा करता रहा हर्षकालीन इतिहास के सम्बन्ध हेनसांग का यात्रा वृत्तान्त महत्वूपर्ण जानकारियों उपलब्ध कराता । इत्सिंग नामक यात्री  सातर्वी शताब्दी के अन्त में भारत आया था इसके विवरण से नालन्दा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय की तत्कालीन परिस्थितियों के सम्बन्ध में जानकारियों प्राप्त होती हैं। 

तलिब्बती व॒त्तान्त-

तिब्बती लामा तारा नाथ की रचनाओं “कंग्युर और तंग्युर’ के द्वारा भी ऐतिहासिक महत्व की विशिष्ट जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। 

मुसलमान यात्रियों के वृत्तान्त-

अरब यात्रियों कें विवरण जिनमें भारतीय इतिहास से सम्बन्धित. सामग्री प्राप्त होती है, उनमें प्रसिद्ध मुस्लिम लेखक अलबरूनी द्वारा रचित “-तहकीक-ए-हिन्द’ उल्लेखनीय है। इनमें राजपूतों के समय के भूगोल, राजनीति, धर्म दर्शन, समाज वद्या; शांत +रेवाज आदि पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। अलबरूनी से भी पहले अलबिलादुरी ( ग्रन्थ-किताब फुतह अलबुल्दान सुलेमान ग्रन्थ-सिलसिला तुल तवारीख) आदि से पूर्व मध्य काल के इतिहास के सम्बन्ध में सामग्री मिलती है। समय-समय पर भारत की यात्रा करने वाले इन यात्रियों के विवरणों के माध्यम से तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक परिस्थितियों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं

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THE END 

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