बालमुकुन्द गुप्त का जीवन परिचय | BALMUKUND GUPT KA JIVAN PARICHAY, BIOGRAPHY OF BALMUKUND GUPT,

बालमुकुन्द गुप्त जी का जीवन परिचय

 

नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । आज के इस आर्टिकल में हम बालमुकुन्द गुप्त जी  का जीवन परिचय पढ़ने जा रहें है। गुप्त जी की प्रमुख रचनाएँ, साहित्यिक विशेषताएं और भाषा शैली को भी पढ़ सकते है। इसी प्रकार के अन्य जीवन परिचय पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट को विजिट करते रहें।

1 बोर्ड (BOARD) एमपी बोर्ड (MP BOARD)
2 पाठयपुस्तक (SYLLBUS) एनसीईआरटी (NCERT)
3 कक्षा (CLASS) कक्षा 11वीं (CLASS 11TH)
4 विषय (SUBKECT) हिंदी (HINDI)
5 खंड (SECTION) गद्य खंड (PROSE SECTION)
6 अध्याय (CHAPTER) अध्याय 4 (CHAPTER 4)
7 अध्याय का नाम (CHAPTER NAME) विदाई-संभाषण (VIDAI SAMBHASHAN)
8 लेखक का नाम (AUTHOR NAME ) बालमुकुन्द गुप्त (BALMUKUND GUPT )
9 अभ्यास पुस्तिका (EXERCISE BOOK) पाठ्यपुस्तक एवं अतिरिक्त (TEXTBOOK AND EXTRA)
10 वर्ग (SOCIAL CLASS)  एनसीईआरटी समाधान (NCERT SOLUTIONS)

NOTES ;-

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बालमुकुन्द गुप्त का जीवन परिचय | BALMUKUND GUPT KA JIVAN PARICHAY, BIOGRAPHY OF BALMUKUND GUPT,

विवरण जानकारी
नाम बालमुकुंद गुप्त
जन्म 14 नवंबर 1865 ई.
जन्म स्थान गांव गुड़ियानी, रोहतक जिला (हरियाणा)
पिता का नाम पूरणमल गोयल
सम्पादित पत्रिकाएँ हिन्दोस्तान, हिन्दी बंग वासी, भारत मित्र
प्रमुख रचनाएँ शिव शंभू के चिट्ठे, चिट्ठे और खत, खेल तमाशा
निधन सन् 1907 ई.
जीवंत आयु 42 वर्ष
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बालमुकुन्द गुप्त जी का जन्म

गुप्त जी का जन्म 14 नवंबर सन् 1865 को वर्तमान हरियाणा प्रदेश में रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गाँव गुड़ियानी में लाला पूरणमल के घर में हुआ था |इनके पूर्वज डीघल (रोहतक) से आकर आजीविका के लिए यहाँ बसे थे। बालमुकुन्द गुप्त के दो छोटे भाई और दो छोटी बहने थीं। वे जन्म से ही बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के थे |  बाल मुकुंद गुप्त ने अपना पूरा जीवन अध्ययन, लेखन एवं संपादन से स्वतंत्रता की अलख जगाई।

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बालमुकुन्द गुप्त जी का पारिवारिक परिचय-

स्वयं का नाम बालमुकुन्द गुप्त
पत्नी का नाम  पत्नी का नाम अनारो देवी
माँ का नाम ?
पिता का नाम पिता का नाम पूरणमल गोयल
गुरु का नाम मुंशी वजीर मुहम्मद खान तथा मुंशी बरकत अली खान 
दादा का नाम  दादा का नाम गोरधन दास
बहन का नाम ?
भाई का नाम ?

 

बालमुकुन्द गुप्त जी की शिक्षा-

गुप्त जी की आरंभिक शिक्षा उर्दू में हुई। बाद में उन्होंने हिंदी सीखी। विधिवत् शिक्षा   पंजाब विश्वविद्यालय से मिडिल तक प्राप्त की, मगर स्वाध्याय से काफ़ी ज्ञान अर्जित किया। वे खड़ी बोली और आधुनिक हिंदी साहित्य को स्थापित करने वाले लेखकों में से एक थे। दस वर्ष की अवस्था में सन् 1875 में इन्हें गाँव के मकतब भेजा गया। जहाँ से उन्होंने उर्दू-फारसी की शिक्षा पाई।

विलक्षण प्रतिभा के धनी वालमुकुंद गुप्त ने जिला स्तर पर होने वाली पाँचवी कक्षा अच्छे स्तर से पास की। इनके अध्यापक ने इनके पिता लाला पूरणमल को बालक बालमुकुन्द गुप्त को आगे पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। परन्तु इनके पिताजी कुछ निर्णय ले पाते उससे पहले ही मात्र चौंतीस वर्ष की अवस्था में सन् 1879 में इनका निधन हो गया।

कुछ दिनों के पश्चात् ही गुप्त जी के दादा गोरधन दास का भी निधन हो गया। परिवार को संभालने की जिम्मेदारी  बालक वालमुकुन्द  पर आ पड़ी। परन्तु परिस्थितियों से बिना हार माने  इन्होंने अपना सारा ध्यान अध्ययन को छोड़कर पैतृक व्यवसाय में लगाया। उन्हें भारतेंदु-युग और द्विवेदी-युग के बीच की कड़ी के रूप में देखा जाता है।

बालमुकुन्द गुप्त जी के प्रमुख संपादन-

गुप्त जी के प्रमुख संपादन निम्न प्रकार है-

हिन्दोस्थान‘ और ‘हिंदी बंगवासी‘ को छोडने का कारण इनका स्वाभिमान रहा है।

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बालमुकुन्द गुप्त जी की प्रमुख रचनाएँ-

बालमुकुन्द गुप्त जी की प्रमुख रचनाएँ : शिवशंभु के चिट्ठे, चिट्ठे और खत, खेल तमाशा,  आदि प्रमुख है।

बालमुकुन्द गुप्त जी की मृत्यु-

भारतमित्र‘ से गुप्त जी का संबंध 2 सितम्बर सन् 1907 तक का रहा। अस्वस्थ होने के कारण जलवायु परिवर्तन की इच्छा से वैद्यनाथ धाम गए परन्तु कोई लाभ न होता देख आने गांव गुड़ियानी वापस जाने का मन बनाया। रास्ते में 18 सितम्बर सन् 1907 को दिल्ली में लाला लक्ष्मीनारायण की धर्मशाला में इन्होंने अपने प्राण त्याग दिये। इस प्रकार पत्रकारिता के क्षितिज पर अनुप्राणित करने वाला प्रकाश विखेर कर दिव्य नक्षम सदा-सदा के लिए प्रणाम कर गया।

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