विश्व जनसंख्या 

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प्रस्तावना –

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नमस्कार प्यारे दोस्तों में हूँ, बिनय साहू, आपका हमारे एमपी बोर्ड ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत करता हूँ । तो दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये चलते हैं, आज के आर्टिकल की ओर आज का आर्टिकल बहुत ही रोचक होने वाला है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे विश्व जनसंख्या ,जनसंख्या की वितरण घनत्व को प्रभावित (नियंत्रण) करने वाले का घटक,भौतिक कारक,मानवीय कारक,जनसंख्या वितरण एवं घनत्व के वारे में बात करेंगे |

विश्व जनसंख्या 

 

विश्व जनसंख्या भूगोल के अध्ययन में मानव का केन्द्रीय स्थान है, क्योंकि मानव हीं अपने आस-पास के प्राकृतिक और सांस्कृतिक वातावरणों का उपयोग करता है, अर्थात्‌ भूमि, जल, वन, खनिज, वायु, जीव-जंतुओं का प्रयोग मनुष्य ही करता है और बदले में स्वयं भी इन सब तत्त्वों से प्रभावित होता है। भूगोल में जनसंख्या का अध्ययन करते समय इसके विभिन्‍न पक्षों,वितरण, घनत्व, संरचना आदि पर तथा इनको प्रभावित करने वाले कारकों पर ध्यान दिया जाता है।

विश्व जनसंख्या की वितरण घनत्व को प्रभावित (नियंत्रण) करने वाले का घटक-

सम्पूर्ण विश्व में जनसंख्या का वितरण असमान है, जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होता है-

विश्व जनसंख्या भौतिक कारक –

 

    1. धरातलीय रचना,
    2. जलवायु,
    3. मिट्टी का उपजाऊपन,
    4. जलापूर्ति,
    5. खनिज पदार्थ।

विश्व जनसंख्या मानवीय कारक-

 

    1. नगरीकरण,
    2. परिवहन संसाधनों का विकास,
    3. औद्योगीकरण,
    4. सामाजिक एवं धार्मिक कारण
    5. कृषि विकास,
    6. ऐतिहासिक कारक,
    7. राजनैतिक कारक,
    8. सरकार की नीलियाँ ।

विश्व जनसंख्या धरातलीय रचना या उच्चावच (Relief)-

समतल मैदानी भू-भाग प्राय: पठारीय तथा पर्वतीय क्षेत्रों की अपेक्षा घने बसे होते हैं, क्योंकि यहाँ उत्तम जलवायु, कृषि की सुविधाएं, परिवहन-सुविधाएँ और व्यापारिक सुविधाएँ सर्वाधिक होती हैं । जैसे-.सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र का मैदान। यूहाँ जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। पठारीय भागों में मैदानी भागों की अपेक्षा जनसंख्या घनत्व कम होती है, क्योंकि यहाँ ऊँची-नीची भूमि, कम उपजाऊ मिट्टी तथा परिवहन सुविधाएँ कम होती हैं, जैसे-भारत का दकक्‍कन पठार।

यहाँ पर जनसंख्या घनत्व घटकर 22 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी रह जाता है पर्वतीय प्रदेशों में वहाँ की अनुपयुक्त जलवायु, उपजाऊ मिट्टी का अभाव, परिवहन साधनों का अभाव आदि के कारण जनसंख्या घनत्व बहुत कम रह जाता है। जैसे- हिमालय के पर्वतीय प्रदेश में जनसंख्या घनत्व मात्र 70 व्यक्ति – व्यक्त प्रति वर्ग किमी ही पाया जाता है

विश्व जनसंख्या में जलवायु के प्रभाव

जनसंख्या वितरण एवं उसके घनत्व को प्रभावित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण कारक जलवायु है। मानव निवास के लिए समशीतोष्ण एवं स्वास्थ्यप्रद जलवायु अनुकूल होती है अनुकूल जलवायु के कारण ही चीन की 80% जनसंख्या केवल 10 लाख वर्ग किमी क्षेत्र के है। उत्तम जलवायु के कारण ही विश्व की आधे से अधिक जनसख्या दक्षिण-पूर्वी एशिया में निवास करते है। बांग्लादेश का जनसंख्या घनत्व 616 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। हर अति उष्ण एवं आर्द्र जलवायु वाले प्रदेशों में अस्वास्थ्यकारक जलवायु, सघन वन, कृषिभूमि का अभाव होने से जनसंख्या घनत्व कम होता है, जैसे- अमेजन बेसिन व काँगो बेसिन |

विषम एवं शुष्क जलवायु वाले प्रदेश भी मानव निवास के लिए अनुपयुक्त होते हैं | जैसे- अरब-मरुस्थल, सहारा-मरुस्थल आदि। इसी प्रकार से अति शीतल एवं हिमाच्छादित प्रदेशों में भी जलवायु की कठोरता के कारण ज़नसंख्या घनत्व अत्यल्प पाया जाता है। उत्तरी सहबेरिया, अलास्का, उत्तरी कऩाडा में टुंडा सदृश  प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 5 व्यक्ति प्रति किमी है । सागर तटीये प्रदेशों को जलवायु भी मानव निवास के अनुरूप होती है, इसलिए ऑस्ट्रेलिया का तटीय घना बसा  हुआ है।

विश्व जनसंख्या में मिट्टी का उपजाऊपन का प्रभाव

उपजाऊ मिट्टी से मनुष्य को भोजन, वस्त्र, आवास आदि को सुविधाएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं। इसलिए उपजाऊ मिट्टी वाले भू-भाग सघन बसे हुए हैं। जैसे-नदियों द्वारा निर्मित मैदानी भू-भाग यांगटिसीक्यांग व सीक्यांग गंगा– ब्रंहपुत्र आदि के मैदान जिन भू भागों की मिट्टी उपजाऊ नहीं होती, वहाँ जनसंख्या बहुत कम पायी जाती है, जैसे- सूहारा मरुस्थल कालाहारी मरुस्थल आदि पठारीज एवं पर्वतीय प्रदेशों की मिट्टी भी कम उपजाऊ होती है। अत: वहाँ जनसंख्या का घनत्व क्रमश: कम हो जाता है। जलापूर्ति – Water Supply

विश्व जनसंख्या का वनस्पति एवं प्राणी का प्रभाव

जगत प्राणी-जगत के लिए जल अनिवार्य आवश्यकता है अतः जिन भू-भागों में पर्याप्त जल सुलभ है, वे सघन बसे हैं। जैसे- नदियों के मैदान, शुष्क प्रदेशों में झीलों, जलाशयों नदियों के तटीय प्रदेश आदि | इसके विपरीत शुष्क एवं जलाभाव वाले क्षेत्रों में अत्यधिक विरल जनसंख्या निवास करती है। जैसे- अटाकामा मरुस्थल।

विश्व जनसंख्या का खनिज पदार्थ- Minerals प्रभाव

खनिज पदार्थों कि उपलब्धता ज़नसंख्या के घनत्व को बढ़ाती है, क्योंकि खनिजों के खनन से अनेक उद्योगों का विकास होता है। पश्चिमी एशिया में पेट्रोलियम की उपलब्धता ने जनसंख्या में वृद्धि को है। उत्तरी चिली में ताँबा व शोरा के कारण, आस्ट्रेलिया के पश्चिमी मरुस्थल में कालगूर्डी तथा कूलगालीं सोना खनन के कारण जनसंख्या में वृद्धि है । अति शीतल प्रदेशों में भी खर्निजो के कारण मानव पहुँच रहा है जैसे अंटार्कटिका पर मानव निवास।
मानवीय कारक (Human Factors)

नगरीकरण-

मनुष्य का नगरों की ओर आकर्षण पुराना है, किन्तु विगत कुछ शताब्दियों से यह आकर्षण बड़ी तेजी से बढ़ा है । इसका कारण सुरक्षा, रोजगार, परिवहन, शिक्षा आदि सुविधाओं का नगरों में पाया जाना है। नगर ही वाणिज्य, व्यापार, उद्योग तथा प्रशासन के भी केन्द्र होते हैं। अत: नगरों में जनसंख्या की बेतहासा वृद्धि हुई है। सम्पूर्ण विश्व की 20% जनसंख्या 10 लाख से अधिक आबादी वाले बड़ेे नगरो में निवास करती हैं।

 परिवहन साधनों का विकास-

परिवहन साधनों के विकास के साथ-साथ जनसंख्या में भी वृद्धि होती जाती है। जैसे-सड़कों के..किनारे क॒स्बों, नगरों एवं
औद्योगिक प्रतिष्ठानों की स्थापना हो जाने से जनसंख्या बढ़ती है।

औद्योगीकरण- 

औद्योगिक दृष्टि से विकसित प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व बहुत उच्च पाया जाता है, क्योंकि इन प्रदेशों में रोजगार प्राप्ति के अवसर विद्यमान होते हैं । औद्योगीकरण के कारण ही उत्तरी-पश्चिमी यूरोप की जनसंख्या का घनत्व अधिक है | जैसे-नीटरलैण्ड में 342 व्यक्ति तथा बेल्जियम में 322 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। भारत के पश्चिम बंगाल का औसत घनत्व 766 व्यक्त प्रति वर्ग किमी वहाँ के औद्योगिक विकास के कारण ही हैं।

सामाजिक एवं धार्मिक कारण-

जनसंख्या वृद्धि में सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएँ भी प्रभाव डालती हैं, जैसे–बड़े परिवार की मान्यता, हिन्दू धर्म में पुत्र प्राप्ति धार्मिक दृष्टि से अनिवार्य मानी जाती है।

कृषि का बिकास-

जिन क्षेत्रों में कृषि का अच्छा विकास् हुआ है, यहाँ भी जनसंख्या सघन पायी जाती है। भारत, चीन, स्टेपी, प्रेयरी, डाउन्स आदि क्षेत्र उसके उपयुक्त उदाहरण हैं ।

ऐतिहासिक कारक –

पृथ्वी तल के प्राचीन क्षेत्र नवीन क्षेत्रों की तुलना में घने बसे हुए हैं, जैसे-चीन, भारत, यूरोपीय देश, नवीन देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि से घने बसे हुए हैं।

 राजनैतिक कारक- 

जनसंख्या घनत्व पर राजनैतिक कारक कभी कभी बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं। प्राय: अशान्ति के समय तथा अशान्त क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व कम हो जाता है तथा जो क्षेत्र स्थायी रूप से शान्त होते हैं वहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। भारत-पाक सीमा पट्टी पर असुरक्षा के कारण भय की स्थिति बनी रहती है जिसके कारण यहाँ जनसंख्या विरल है।

सरकार की नीतियाँ- 

जनसंख्या कम करने, यथावत्‌ बनाये रखने अथवा वृद्धि करने में सरकारें अपनी आवश्यकतानुसार नीतियाँ निर्धारित करती हैं। दक्षिण-पूर्वि व पूर्वी एशियाई देश की सरकारें जनसंख्या वृद्धि को रोकने हेतु अथक्‌ प्रयास कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया में जनसंख्या वृद्धि का न होना वहाँ की सरकार की अप्रवास नीति का प्रतिफल है।

जनसंख्या वितरण एवं घनत्व-

संसार की वर्तमान जनसंख्या सात अरब से अधिक (सन्‌ 2013 ) हैं, जो पृथ्वी के 14.5 करोड़ वर्ग किमी थल भाग पर निवास करती है। अंटार्कटिका महाद्वीप को छोड़कर पृथ्वी के शेष स्थल पर जनसंख्या का औसत घनत्व लगभग 40 व्यक्त प्रति वर्ग किमी है, परन्तु जनसंख्या का यह घनत्व सर्वत्र समान नहीं हैं। धरातल का लगभग 66% भाग निर्जन प्राय है, विश्व कि लगभग 75% जनसंख्या पृथ्वी के 10% भाग पर निवास करती हैं।

इस प्रकार जनसंख्या वितरण की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता इसकी क्षेत्रीय विषमता हैं । जनसंख्या के भौगोलिक वितरण का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि विश्व कि लगभग 85% जनसंख्या उत्तरी महाद्वीपों में तथा शेष 15% जनसंख्या दक्षिणी महाद्वीपों में निवास करती है। उत्तरी गोलार्द्ध में 20 से 60″ के मध्य विश्व की लगभग 80% जनसंख्या पायी जाती है। जनसंख्या वितरण प्रतिरूप के अध्ययन के लिए मापक के रूप में जनसंख्या घनत्व का साधारणव: प्रयोग किया जाता है।

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