महान सम्राट अशोक ( ई. पू. 298-272)
महान सम्राट अशोक का आरंभिक जीवन –
बिन्दुसार की मृत्यु के बाद इसके साम्राज्य का महान सम्राट अशोक, बना। बिन्दुसार की अनेक रानियाँ और पुत्र पुत्रियाँ थीं । उसका सबसे बड़ा पुत्र सुसीम था, उसके पश्चात् अशोक था । सुसीम बड़ा और सुन्दर होने के कारण अधिक प्रिय था। सभी राजकुमारों के साथ अशोक की भी शिक्षा दीक्षा राजोचित तरीकों से हुई ।
अशोक इन सब में सर्वाधिक योग्य और महत्वाकांक्षी था । बिन्दुसार उसे लेकर सशंकित रहता था सुसीम भी अशोक से भीतर ही भीतर द्वेषभाव रखने लगा । शिक्षा के पश्चात् अशोक को उसकी उसकी योग्यता देखते हुए बिन्दुसार ने अवन्ति (मालवा) का शासक नियुक्त कर दिया। वह मालवा की राजधानी उज्जयिनी में रहता था।
सुसीम उत्तरांचल की राजधानी तक्षशिला में रहता था । तक्षशिला में जब विद्रोह किया गया तब सुसीम उसे दबा पाने में असफल सिद्ध हुआ । अशोक इन विद्रोहों को दबाने के लिए नियुक्त किया गया। उसने इनका दमन करने में सफलता पायी।
अवन्ति के साथ ही तक्षशिला के शासक के रूप में अशोक ने अपनी दूरदर्शिता, कार्यकुशलता, वीरता और बुद्धिविवेक का परिचय दिया। जब अशोक उज्जयिनी में था तब उसने विदिशा के एक श्रेष्ठि की कन्या महादेवी से विवाह किया । इससे उसकी दो संतानें महेन्द्र और संघमित्रा हुई ।
महान सम्राट अशोक का उत्तराधिकार के लिए युद्ध –
बिन्दुसार जब बीमार पड़ा तब वह चाहता था कि सुसीम उसका उत्तराधिकारी बने। अशोक की महत्वाकांक्षा के कारण उसके पुत्रों के दो दल हो गये। सुसीम और उसके बहुत से भाई उत्तराधिकार के लिए हुए युद्ध में मारे गये ।
महान सम्राट अशोक का राज्याभिषेक –
अशोक का राज्यारोहण 272 ई. पू. में ही हो गया था किन्तु उत्तराधिकार के लिए हुए संघर्ष में उसका विरोध चलता रहा इसलिए उसका राज्याभिषेक 268 ई. पू. में हुआ सम्राट बनने के बाद अशोक ने ‘देवानांप्रिय’ तथा प्रियदर्शी की उपाधि धारण की।
महान सम्राट अशोक का नृशंस और विलासी अशोक –
राज्याभिषेक के पश्चात अपने आरंभिक वर्षों में अशोक एक नृशंक और विलासप्रिय शासक था। नृत्य, संगीत, सुरापान मांसाहार, आरवेह आदि उसको प्रिय थे। वह प्रशासन में अत्यन्त क्रूर था । कठोर दंड देने के कारण उसे चंड अशोक भी कहा गयी ।
महान सम्राट अशोक की विजय –
अशोक ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए दिग्विजय को अपना लक्ष्य बनाया । सर्वप्रथम उसने उन क्षेत्रों पर आक्रमण किया जो मौर्य साम्राज्य में अभी तक शामिल नहीं हुए थे ।
महान सम्राट अशोक की कश्मीर विजय –
अशोक के पूर्व में कश्मीर मौर्य साम्राज्य से बाहर था, कश्मीर के इतिहास में अशोक मौर्यवंश का पहला राजा था इससे प्रतीत होता है कि चन्द्रगुप्त और बिन्दुसार के समय कश्मीर मौर्य साम्राज्य का अंग नहीं था कश्मीर विजय के बाद अशोक ने ही श्रीनगर बसाया कश्मीर घाटी में अनेक चैत्यों और स्तूपों का निर्माण करवाया ।
महान सम्राट अशोक की कलिंग विजय –
कश्मीर विजय के पश्चात् अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया । कलिंग का राज्य तीन ओर से मगध राज्य की सीमाओं से घिरा था । कलिंग एक बलशाली राज्य था । उसने वीरतापूर्वक अशोक की सेना का सामना किया। इस युद्ध में बड़ी संख्या में नरसंहार हुआ । युद्ध के परिणामस्वरूप भूख और रोग से बड़ी संख्या में लोग मारे गये। अब मौर्य साम्राज्य बिना किसी अंतराल के हिन्दूकुश से बंगाल की खाड़ी और हिमालय से लेकर मैसूर तक विस्तृत हो गया ।
महान सम्राट अशोक की नीति परिवर्तन –
कलिंग युद्ध बड़ा भीषण युद्ध था । इस युद्ध में भीषण रक्तपात हुआ और नरसंहार हुआ। एक लाख से अधिक सैनिक मारे गये इससे भी अधिक लोग युद्ध के परिणामस्वरूप भूख और रोग से मारे गये थे । कलिंग युद्ध की भीषण नरसंहार और विध्वंस से अशोक के हृदय पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसे बहुत पश्चाताप हुआ।
उसने संघर्ष और साम्राज्य विस्तार की नीति त्याग दी। उसने अनुभव किया कि सबसे बड़ी विजय धर्म विजय है, उसकी नीति दिग्विजय के स्थान पर धर्म विजय हो गयी। जिस साम्राज्यवादी नीति का प्रारंभ मगध के साम्राज्य बिम्बिसार ने किया उसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य और बिन्दुसार ने बढ़ाया, उसे अशोक ने त्याग दिया।
महान सम्राट अशोक का धर्म परिवर्तन –
कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने अपने प्रधान शांतिवादी हृदय परिवर्तन के परिणाम-स्वरूप अहिंसा प्रधान बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया । कुछ इतिहासकार मानते हैं कि अशोक बौद्ध धर्म का नहीं था उसका धर्म सर्वमान्य नैतिक आचरण वाला था, किन्तु अशोक के बौद्ध होने के सम्बन्ध में अनेक प्रमाण मिलते हैं । बौद्ध ग्रंथ दीपवंश और महावंश में उसके बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने का उल्लेख मिलता है।
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी उसके बौद्ध होने के सम्बन्ध में उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी उनके बौद्ध होने के प्रमाण मिलते हैं । दैनिक अध्ययन के लिए वह जिन ग्रंथों का निर्देश देता था वे सभी बौद्ध पाली साहित्य के हैं। भाव अभिलेख में अशोक ने बौद्ध त्रिरत्न बुद्ध, संघ और धर्म को नियमतः प्रमाण किया है।
QUESTION-1. सम्राट अशोक के पितामह कौन था?
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