“पैमानें के प्रतिफल”
पैमानें के प्रतिफल का अर्थ एवं परिभाषा-
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- पैमानें अभी तक साधन के प्रतिफल (उत्पत्ति के नियमों) की चर्चा में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी एक था कुछ साधनों को स्थिर रखकर अन्य साधनों में परिवर्तन किया जाय तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
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- यदि उत्पादन के सभी साथनों में एक साथ आनुपातिक परिवर्तन किया जाये तो इसे पैमाने में परिवर्तन कहा जाता है और उसके फलस्वरूप उत्तपत्ति में होने वाले परिवर्तन को पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।
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- पैमाने के प्रतिफल के विचार को समझने के पूर्व ‘अनुपात’ तथा पैमाना’ (शब्द का अर्थ समझना आवश्यक है। स्थिर साधनों का परिवर्तनशील साधनों के साथ संयोग अनुपात कहलाता है। अनुपात का सम्बन्ध अल्पकाल से होता है क्योंकि अल्पकाल में हम स्थिर साधनों के साथ परिवर्तनशील साधन की अधिकाधिक मात्रा का प्रयोग करके उत्पादन को बढ़ा पाते हैं।
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- पैमाने में वृद्धि का अर्थ है सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाना अर्थात् साधन अनुपातों स्थिर रखते हुए सभी साधनों को बढ़ाया जाता है। पैमाने का विचार दीर्घकाल से है क्योंकि दीर्घकाल में कोई भी साक्कु स्थिर नहीं रह सकता है बल्कि सभी साधनों को परिवर्तित करके फर्म के आकार को बढ़ाया जाता है।
- इस प्रकार, पैमाने में वृद्धि का आशय है सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाना अथवा साधन-अनुपातों को स्थिर रखते हुए सभी साधनों को बढ़ाया जाना।
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- पैमाने के प्रतिफल का विचार इस बात का अध्ययन करता है कि यदि सब साथनों में आनुपातिक परिवर्तन कर दिया जाय, ताकि साधनों के मिलने के अनुपात में कोई बदलाव नहीं आए, तो उत्पादन में किस प्रकार परिवर्तन होगा।साधनों की निरपेक्ष मात्राओं में तो परिवर्तन हो, परन्तु उनके मिलने के अनुपात में परिवर्तन न हो, यह बात एक ‘पैमाना रेखा” बताती है।
अतः पैमाने के प्रतिफल के विचार’ के दूसरे शब्दों में निम्न प्रकार से भी व्यक्त किया जाता है-““यदि एक विशिष्ट पैमाना रेखा पर प्लाधनों को मात्राओं को परिवर्तित किया जाता है तो उत्पादन में परिवर्त होगा। साधनों में इस प्रकार के परिवर्तनों के परिणास्वरूप उत्पादन की प्रतिक्रिया को पैमाने के प्रतिफल कहा जाता है।”
पैमाने के प्रतिफल की समस्या इस बात को मालूम करना है कि जब एक पैमाना रेखा पर साधनों में कोई आनुपातिक वृद्धि की जाती है तो उत्पादने में किस अनुपात में वृद्धि होगी ।जब साधनों को एक ही अमुपात में बढ़ाया जाता है (और इस प्रकार उत्पादन के पैमाने में वृद्धि की जाती है) तो प्राप्त होने वाली उत्पादन क़ी मात्रा या प्रतिफल तीन अवस्थाएँ दिखाते हैं-
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- पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल की अवस्था
- पैमाने के समान या स्थिर प्रतिफल की अवस्था
- पैमाने के घटते हुए प्रतिफल की अवस्था
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पैमानें के बढ़ते हुए प्रतिफल-
यदि सभी साधनों को 10% से बढ़ाया जाता है। (अर्थात् पैमाने को 10% से बढ़ाया जाता है और उत्पादन 15% से नढ़ जाता है अर्थात् 10% से अधिक बढ़ता है तो यह अवस्था ‘पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल’ की अवस्था कही जायेगी। इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है“जब सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाया जाता है
(अर्थात् एक पैमाना रेखा पर चला जाता है) और इस प्रकार उत्पादन के पैमाने में वृद्धि हो जाती है तथा इसके परिणामस्वरूप यदि उत्पादन में अधिक अनुपात में वृद्धि होती है तो यह कहा जाता है कि उत्पादन प्रक्रिया पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल उत्पन्न करती है।
अर्थात् पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल के अन्तर्गत उत्पादन में एक समान वृद्धि प्राप्त करने के लिए साधनों की मात्राओं में क्रमशः कम और कम वृद्धि की आवश्यकता पड़ती है।
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- सामान्य शब्दों में इस स्थिति को नीचे व्यक्त किया गया हैं: सम-उत्पाद रेखाएँ एक पैमाना-रेखा की टुकड़ों में बाँट देती है। यदि उत्पादन के किसी क्षेत्र पर इन टुकड़ों की लम्बाई क्रमशः घटती जाती है। जैसे-जैसे हम मूल बिन्दु से दूर हटते जाते हैं
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- (अर्थात् जैसे फर्म बड़ी होती जाती है) तो फर्म ‘पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल’ के अन्तर्गत कार्य करते हुए कही जाती है क्योंकि उत्पादन में क्रमशः समान वृद्धि करने के लिये दोनों साधनों की मात्राओं में क्रमंशः कम और कम वृद्धि की आवश्यकता होती है।
- यदि सभी साधनों को 10% से बढ़ाया जाता है (अर्थात् पैमाने को 10% बढ़ाया जाता है) और उत्पादन भी 10% बढ़ जाता है, तो ऐसी अवस्था ‘पैमाने के समाने प्रतिफल’ की अवस्था कही जाती है। इसको निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है
पैमानें के प्रतिफल के लागू होने के कारण-
पैमाने के प्रतिफल की तीनों अवस्थाओं लागू होने के कारण निम्न प्रकार हैं-
पैमानें के बढ़ते हुए प्रतिफल के लागू होने के कारण-
पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल के लागू होने के कारण निम्न प्रकार हैं-
पैमानें से अविभाज्यकताएँ-
उत्पत्ति के साधन अविभाज्य होते हैं। प्रत्येक उत्पत्ति के साधन की एक निम्नतम सीमा या उसका एक निम्नतम आकार होता है जिसके नीचे हम उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित नहीं कर सकते हैं। मशीन, प्रबन्धक विपणन वित्त और अनुसंधान तथा विज्ञान में ‘अविभाज्यता का तत्व होता है। ‘ उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने से उन अविभाज्य साधनों का जो, पहले से प्रयोग में आ रहे हैं,
अधिक अच्छा प्रयोग होने लगता है, या पैमाने के बढ़ने के कारण नये अविभाज्य साधनों का प्रयोग सम्भव हो जाता है। इन सब बातों के कारण उत्पादन कुशलता बढ़ती है, परिणामस्वरूप प्रारम्भ में जिस अनुपात में साधनों को बढ़ाया जाता है, उससे अधिक अनुपात में प्रतिफल प्राप्त होता है। कुछ अर्थशास्त्री इसे महत्वपूर्ण कारक नहीं मानते हैं।
पैमानें से आकार की कुशलता-
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल का मुख्य कारण केवल बड़े आकार के परिणामस्वरूप प्राप्त कुशलता है, परन्तु एक सीमा या बिन्दु के बाद इस प्रकार की बड़े आकार की कुशलता समाप्त हो जाती है।
पैमानें से श्रम का अधिक विशिष्टीकरण –
उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने से जटिल श्रम विभाजन तथा अधिक श्रम विशिष्टीकरण संभव हो जाता है। जटिल श्रम विभाजन के फलस्वरूप श्रमिकों को अपनी योग्यता के प्रदर्शन का अवसर प्राप्त होता हैतथा एक ही कार्य – को बार-बार करने से वे अधिक दक्ष हो जाते हैं।
पैमानें के स्थिर (समान) प्रतिफल के लागू होने के कारण-
पैमाने के समान प्रतिफल’ काअभिप्राय है कि फर्म के उत्पादन के पैमाने में परिवर्तनों का साधनोंके प्रयोग की कुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अतः केवल उन फर्मों को ही,
जो कि ऐसे उद्योगों में कार्य करती हैं जिनमें साधनों के विशिष्टीकरण (अर्थात् जटिल श्रम-विभाजन) के लाभ या तो कम हैं या उन लार्भों को उत्पादन के निम्न स्तरों पर ही प्राप्त किया जा सकता है, उत्पादन के बड़े फैलाव तक पैमाने के स्थिर प्रतिफल’ प्राप्त होते हैं।
पैमानें के घटते हुए प्रतिफल के कारण –
पैमाने के स्थिर प्रतिफल के पश्चात् एक फर्म को अन्य में गैगाने वेः घटत हुए प्रतिफल’ प्राप्त होंगे इसके लागू होने के कारणों पर अर्थशास्त्रियों में मतभेद है। जैसे कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार एक साहसी एक स्थिर और अविभाज्य साधन है|
दीर्घकाल में यद्यपि सभी साधनों को बढ़ाया जा सकता है, परन्तु साहसी को नहीं। साहसी और उसके निर्णय लेने की क्रिया अविभाज्य है। इस मत के अनुसार, पैमाने के घटते हुए प्रतिफल’ परिवर्तनशील अनुपातों के केवल एक विशिष्ट रूप ही है।
कुछ अन्य अर्थशास्त्रियों के अनुसार पैमाने के घटते हुए प्रतिफल के लागू होने का कारण यह है कि फर्म के विकास के परिणामस्वरूप, एक सीमा के बाद, प्रबन्ध अत्यन्त जटिल हो जाता है।
एक सीमा के बाद फर्म के विकास के साथ प्रबन्ध तथा समन्वय की कठिनाइयाँ इतनी बढ़ जाती है कि वे श्रम-विभाजन तथा विशिष्टीकरण के सभी लाभों को समाप्त कर देती है और पैमाने के घटते हुए प्रतिफल’ प्राप्त होने लगते हैं।
“महत्वपूर्ण तथ्य”
• पैमाने का प्रतिफल यदि उत्पादन के सभी साधनों में एक साथ आदुपातिक परिवर्तन किया जाए तो इसके फलस्वरू उत्पत्ति में होने वाले परिवर्तन को पैमाने का प्रतिफल कहते हैं ।
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• परिवर्तन पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी साधनों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से होता है।
• पैमाने के बढ़ते प्रतिफल का नियमपैमाने के बढ़ते प्रतिफल के नियम का अर्थ है कि जिस अनुपात में उत्पादन के साधनों में वृद्धि की जाती है, उसकी तुलना में उत्पादन अधिक अनुपात में बढ़ता है।
• पैमाने का स्थिर प्रतिफल का नियमजिस अनुपात में उत्पादन के साधनों में वृद्धि की जाती है, यदि उत्पादन में भी ठीक उसी अनुपात में वृद्धि होती है तो ऐसी स्थिति में उत्पादन पैमाने के स्थिर प्रतिफल के नियम के अन्तर्गत प्राप्त होता है।
• पैमाने का घटते हुए प्रतिफल का नियमउत्पादन के साधनों में किए गए आनुपातिक वृद्धि की तुलना में उत्पादन कम अजुपात में बढ़ता है, तब पैमाने के घटते हुए प्रतिफल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
• पैमाने के स्थिर प्रतिफल के अन्तर्गत उत्पादन में एक समान वृद्धि प्राप्त करने के लिए साधनों की मात्राओं में क्रमशः एक समान वृद्धि की आवश्यकता पड़ती है ।
• पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल के लायू होने के कारण –
(1) उत्पत्ति के साधनों की अविभाज्यकता
(2) आकार की कुशलता
(3) श्रम का अधिक विशिष्टीकरण।
“वस्तुनिष्ठ प्रश्न “
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
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- उत्पत्ति हास नियम ……… के विचार पर आधारित है।
- पैमाने का प्रतिफल ………. विचार है।
- स्थिर साधनों के साथ एक परिवर्तनशील साधन के,संयोग को
- पैमाने के प्रतिफल की ……… अवस्थाएँ होती है।
- पैमाने के स्थिर प्रतिफल की अवस्था …….. होती है।
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उत्तर (1) अनुपात (2) दीर्घकालीन (3) एक अनुपात (4) तीन (5) अल्पकालीन
“सही विकल्प का चयन कीजिए”
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- पैमाने के प्रतिफल का नियम लागू होता है, जब-
(अ) कच्चे माल की मात्रा में परिवर्तन किया जाए…
(ब) श्रम की मात्रा में परिवर्तन किया जाए
स) उत्पादन के सभी साधर्नों में परिवर्तन किया जाए.
(द) इनसे से कोई नहीं
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- सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाना कहलाता है-
(आ) पैमाने में वृद्धि
(ब) अनुपात में वृद्धि
(स) उत्पादन में वृद्धि
(द) लागत में वृद्धि
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- पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल का कारण नहीं है-
(अ) विशिष्टीकरण
(ब) अविभाज्यता
(स) मूल्य वृद्धि
(द) आकार सम्बन्धी कुशलता
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- स्थिर साधनों के साथ एक परिवर्तनशील साधन के संयोग को कहा जाता है-
(अ) पैमाना
(ब) एक अनुपात
(स) प्रतिफल
(द) साधन
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- पैमाने के प्रतिफल की अवस्थाएँ होती है-
(अ) पाँच
(ब) तीन
(स) चार
(द) सात
उत्तर- (1)स (2) अ (3) स (4) व (5) ब।
“सही अथवा गलत”
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- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल का कारण विशिष्टीकरण है।
- उत्पत्ति हास नियम का कारण एंक या अधिक साधनों का स्थिर होता है।
- रे का जा कल अल्पकालीन विचार है।
- सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाना पैमाने में वृद्धि कहलाता है।
- पैमाने के स्थिर प्रतिफल को समता प्रतिफल का नियम भी कहते हैं|
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उत्तर -(1) सही (2) सही (3) गलत (4) सही (5) सही
“सही जोड़ियाँ बनाइए “
पैमाने का प्रतिफल = दीर्घकालीन विचार
एक या अन्य साधनों का स्थिर होना = उत्पत्ति हास नियम
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल का कारण .=विशिष्टीकरण
उत्पत्ति के साधन हि उत्पत्ति हास नियम = परिवर्तनशील
घटते प्रतिफल का कारण = साधनों के बींच अपूर्ण स्थानापनन होना।
“महत्वपूर्ण प्रश्न”
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- उत्पत्ति वृद्धि नियम तथा उत्पत्ति हास नियम के बीच कौनसा नियम लागू होता है ?
- मार्शल के अनुसार उत्पत्ति हास नियम किस उद्योग में लागू-नहीं होता है ?
- उत्पत्ति के नियम कौन-कौन से हैं ?
- पैमाने के प्रतिफल का सम्बन्ध किस काल से है ?
- यदि उत्पादन में वृद्धि अनुपात, साधन में की गई वृद्धि के अनुपात से अधिक हो तों, यह कौन-सा प्रतिफल है ?
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उत्तर- (1) उत्पत्ति स्थिर नियम । (2) निर्माणी उद्योग में | (3) उत्पत्ति हास नियम, उत्पत्ति वृद्धि नियम तथा उत्पत्ति समता नियम । (4) दीर्घकाल से । (5) पैमाने का बढ़ता हुआ प्रतिफल।
♥ समाप्त ♥